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टेक्नोलॉजी

CryptoCurrency क्या है? और ये काम कैसे करता है?

02/09/2021 by kaisehoga 1 Comment

cryptocurrency meaning in hindi
What is Crypto Currency? cryptocurrency meaning in hindi

इस तेजी से आगे बढ़ते डिजिटल वर्ल्ड में करेंसी में भी डिजिटल रूप ले लिया है और इस डिजिटल करेंसी को ही Crypto currency कहा जाता है जैसे कि Bitcoin आपने Bitcoin का नाम बहुत बार सुना होगा लेकिन सवाल यह है की What is Crypto Currency? cryptocurrency meaning in hindi और ये कैसे काम करता है?  उसके बेनिफिट्स क्या-क्या होते हैं?

सबसे पहले जान लेते है cryptocurrency meaning in hindi

हम आम भाषा में कहें तो Cryptocurrency एक Digital पैसा प्रणाली है, जो कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है. यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ऑनलाइन रहती है. इस पर किसी भी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.

  • ये Crypto Currency एक वर्चुअल करेंसी होती है जिसे 2009 में इंट्रोड्यूस किया गया था।
  • सबसे पहली मोस्ट पॉपुलर Crypto Currency का नाम  BitCoin ही था।
  • Crypto Currency कोई असली सिक्कों या नोट जैसी नहीं होती।
  • यानी इस करेंसी को हम रुपयों की तरह हाथ में तो नहीं ले सकते या अपनी जेब में भी नहीं रख सकते।
  • लेकिन यह हमारे डिजिटल वॉलेट में सेव रहती है।
  • इसे आप ऑनलाइन करेंसी भी कह सकते हैं क्योंकि ये केवल ऑनलाइन वॉलेट में ही रहती है।
  • BitCoin  या Crypto Currency से होने वाला पेमेंट कंप्यूटर से होता है।

वैसे दोस्तों आप यह तो जानते ही हैं कि हमारे इंडियन रुपीस और इसी तरह यूरो, डॉलर जैसे करेंसी पर सरकार का पूरा अधिकार होता है लेकिन BitCoin जैसे Crypto Currency को कोई कंट्रोल नहीं कर सकता। इस वर्चुअल करंसी पर सरकार, अथॉरिटी, सेंट्रल बैंक या किसी देश की एजेंसी का कोई कंट्रोल नहीं होता है। यानी BitCoin ट्रेडिशनल बैंकिंग सिस्टम को फॉलो नहीं करता। बल्कि यह कंप्यूटर वॉलेट से दूसरे वॉलेट तक ट्रांसफर होता रहता है। ऐसा नहीं है कि केवल BitCoin ही एक ऐसी Crypto Currency है बल्कि ऐसी 5000 से भी ज्यादा अलग-अलग Crypto Currency मौजूद है।

ये भी पढ़े :- How to Buy Cryptocurrency in India? – [Hindi]

कुछ पॉपुलर CryptoCurrency के नाम है :-

  1. BitCoin – जाने बिटकॉइन क्या है?
  2. Ethereum
  3. Binance Coin
  4. Tether
  5. Cardano
  6. Polkadot
  7. Ripple
  8. LiteCoin
  9. Chainlink
  10. Stellar

इनमें आप इन्वेस्ट कर सकते हैं और BitCoin की तरह ही इन्हें भी आसानी से खरीद और बेच सकते हैं। हां, यह बात अलग है कि सबसे ज्यादा पॉपुलर Crypto Currency BitCoin ही है और यह कितनी पॉपुलर करेंसी है। इसका अंदाजा आपको इस बात से पता लग जाएगा कि अब दुनिया की बहुत सी कंपनियां BitCoin पेमेंट्स एक्सेप्ट करने लगी है और आगे ऐसे कंपनियों के नंबर बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में BitCoin का यूज करके आप Shopping Trading और Travelling सब कुछ किया जा सकता है

भारत में अभी इसकी स्थिति कैसी है ?

इंडिया में धीरे धीरे ही सही, लेकिन Bitcoin पेमेंट पॉपुलर हो रही है। इंडिया में इस धीमी स्पीड इसका अवैध होना था क्योंकि Crypto Currency को RBI के द्वारा बैन किया गया था, लेकिन अब मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया है यानी अब इंडिया में CryptoCurrency का यूज लीगल हो गया है और इसीलिए इंडिया में भी Crypto Currency यूजर्स की संख्या बढ़ने लगी है इंडिया में बाकी देशों की तरह बिटकॉइन जैसी Crypto Currency का तेजी से पॉपुलर नहीं होने का दूसरा बड़ा रीजन हमारा एक कांसेप्ट है कि अगर हमें इन्वेस्टमेंट करना हो तो हम FD, Mutual Funds, Shares और Gold में ही करते हैं जो गलत तो नहीं है लेकिन नए जमाने के इस नई करेंसी में इन्वेस्ट करने के अलग ही फायदे होते हैं। जैसे कि :-

  • इसमें आप आसानी से फटाफट ट्रांजैक्शन कर सकते हैं
  • इससे इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन चुटकियों में पूरा किया जा सकता है।
  • आपको ना के बराबर ट्रांसलेशन की फीस देनी पड़ेगी।
  • इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता और यह ट्रांजैक्शन ज्यादा सिक्योर और कॉन्फिडेंशल होते हैं।

cryptocurrency meaning in hindI

BitCoin कोई नया कॉन्सेप्ट तो है नहीं Facebook, PayPal और Amazon जैसी बड़ी कंपनियां Crypto Currency से जुड़ी हुई है और तो और Alon Musk  जो आज दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में आते हैं जैक डोर्सी और माइक टायसन जैसे पर्सनैलिटी भी Crypto Currency का यूज करती है। USA, China, Japan, Spain और Romania जैसे देशों में तो Crypto Currency यूजर की संख्या सबसे ज्यादा है।

अब इतना जान लेने के बाद हो सकता है कि आप भी Bitcoin में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो अब आपको बता दें कि क्रिप्टो करेंसी में यूज करना भी बहुत आसान होता है। मतलब यह कि आप CoinSwitch Kuber  एप्लीकेशन का यूज करके आप एक क्लिक में BitCoin में इन्वेस्ट कर सकते हैं। इस एप्लीकेशन से आप BitCoin या कोई दूसरी Crypto Currency खरीद और बेच सकते हैं। यह आपको उतना ही आसान लगेगा जितना  की आप अपने फेवरेट प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन खरीदारी करते हैं।

इस ऐप के पूरे दुनिया में करोड़ो यूजर है लेकिन आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि BitCoin तो महंगा होगा ऐसे में मैं कैसे इसे खरीद सकता हूं तो दोस्तों अच्छी बात यह है कि भले ही 1 Bitcoin की कीमत अभी 50 लाख के करीब पहुंच गयी है और यह लगातार आगे की तरफ बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन आप CoinSwitch Kuber ऐप का इस्तेमाल करके इसमें सिर्फ ₹100 से इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं और इसमें कोई फीस भी नहीं देनी पड़ती।

Bitcoin का प्राइस तेजी से उतार चढ़ाव होते रहते हैं।

cryptocurrency meaning in hindI

  1. CoinSwitch Kuber एप्लीकेशन आप यहाँ क्लिक करके गूगल प्ले स्टोर से एप्लीकेशन डाउनलोड कर सकते हैं
  2. और SignUp करने पर आपको ₹50 का Bitcoin मिल जाएगा
  3. और अपने दोस्तों को रेफर करने पर भी आपको यही बेनिफिट मिलेगा।
  4. इसमें SignUp करना भी बहुत आसान है जिसके लिए आपको अपना मोबाइल नंबर डालना होगा।
  5. OTP का यूज करके आप इसका प्रोसेस आगे बढ़ाएंगे।
  6. उसके बाद आपको 4 डिजिट का अपना एक कोई पिन सेट कर लेना है
  7. अगले स्टेप में आपको इसकी KYC करनी होगी
  8. KYC के लिए आपको अपना पूरा नाम, डेट ऑफ बर्थ और ईमेल आईडी डालनी होगी
  9. ईमेल पर रिसीव होने वाले OTP का यूज करेके आगे बढे
  10. अगले स्टेप में आपको अपना पैन कार्ड वेरीफाई करना होगा
  11. अब आईडेंटिटी वेरीफाई करना होगा जिसमें आप आधार कार्ड, पासपोर्ट या वोटर आईडी कार्ड का यूज कर सकते हैं।
  12. इसके बाद आपकी एक सेल्फी क्लिक करके इस प्रोसेस को पूरा करना है।
  13. अगले स्टेप में आप अपने बैंक अकाउंट की डिटेल मेंशन करेंगे।
  14. इसके बाद CoinSwitch Kuber के वॉलेट में आप अपनी मर्ज़ी से कुछ पैसे डिपॉजिट करेंगे
  15. फिर इस पैसे से आप Bitcoin या कोई भी दूसरे Crypto Currency खरीद सकेंगे।
  16. इस Crypto Currency को सेल करना भी आसान होगा।

CoinSwitch Kuber गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है और इसका IOS version भी अवेलेबल है। इसीलिए आप अपने आईफोन फ्रेंड्स को भी इस ऐप के बारे में बता सकते हैं और अपने फ्रेंड्स को रेफर करके कुछ पैसे कमा सकते है।

तो दोस्तों इस इंफॉर्मेशन के बाद यह भी जान लीजिए कि Crypto Currency का यूज़ करते हुए आपको यह याद रखना होगा कि इसमें आपको प्रॉफिट तो बहुत मिल सकता है लेकिन रिस्क भी ज्यादा होता है। इसलिए कोई भी Crypto Currency खरीदने से पहले उस पर थोड़ी बहुत रिसर्च जरूर कर लें ताकि आपको पता चल सके कि उस Crypto Currency की परफॉर्मेंस पिछले हफ्ते या पिछले महीने कैसी रही है और इससे आप उस Currency से होने वाले प्रॉफिट और उसमें होने वाले उतार-चढ़ाव का अंदाजा हो जाएगा ताकि आपको इन्वेस्टमेंट में कम रिस्क और ज्यादा प्रॉफिट हो सके।

फ्यूचर में Crypto Currency इंडिया में कितनी तेजी से पैर पसारेगा और इससे हम क्या क्या खरीद पाएंगे यह तो अभी फ्यूचर में ही पता चल पाएगा लेकिन अभी आप समझदारी से इसका यूज करें तो प्रॉफिट पा सकते हैं।

तो इस पोस्ट के जरिए आप Crypto Currency के बारे में बहुत कुछ पता चल गया होगा की CryptoCurrency क्या है? cryptocurrency meaning in hindi और ये कैसे काम करता है? उसके बेनिफिट्स क्या-क्या होते हैं? उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको नॉलेज को थोड़ा अपडेट कर पाया होगा और आपके लिए हेल्पफुल रहा होगा अगर आपके मन में इससे जुडा कोई भी संदेह है तो हमें कमेंट में पूछ सकते हैं हम आपकी हर सवाल का उत्तर देने की पूरी कोशिस करेंगे धन्यवाद!

Filed Under: Info, टेक्नोलॉजी, पैसे कमाए Tagged With: Cryptocurrency, cryptocurrency meaning in hindi

Bluetooth kya hai? और यह कैसे काम करता है?

31/08/2021 by kaisehoga Leave a Comment

 

Bluetooth kya hai
Bluetooth kya hai

तकनीक के विकास के साथ आज सबसे ज्यादा इस्तेमाल बिना केबल के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के प्रयोग पर दिया जा रहा है। आज के समय में सारे डिवाइस से वायरलेस होते जा रहे हैं। जैसे बिना तार के माउस से आप कंप्यूटर पर नियंत्रण कर सकते हैं या बिना तार के हेडफोन लगाकर म्यूजिक सुन सकते हैं। वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को आपस में एक दूसरे से कनेक्ट करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाता है। उनमें से एक माध्यम का नाम है Bluetooth। ये Bluetooth kya hai?

Bluetooth  के कारण ही वायरलेस टेक्नोलॉजी का उपयोग संभव हो पाया है। वह Bluetooth ही है जिसकी वजह से एक डिवाइस दूसरे डिवाइस के साथ बिना तार के संपर्क कर पाती है।

आपने Bluetooth का नाम तो जरूर सुना होगा और इसे फाइल शेयरिंग करने के लिए इस्तेमाल भी किया होगा। डाटा ट्रांसफर करने का यह एक बहुत ही बढ़िया तरीका है। अभी के समय में इसके बहुत ज्यादा उपयोग होने के कारण ब्लूटूथ हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है। चाहे वह ऑडियो डिवाइस, मोबाइल फोन, MP3 प्लेयर, लैपटॉप, डेक्सटॉप, टेबलेट इत्यादि। आप किसी भी इलेक्ट्रिक डिवाइस का नाम ले आपको उसमे ब्लूटूथ का ऑप्शन जरूर मिल जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि Bluetooth क्या होता है? Bluetooth काम कैसे करता है और इसके क्या फायदे हैं? आपको आज के इस पोस्ट में हम आपको ब्लूटूथ से जुड़ी सारी जानकारी देने वाले हैं इसीलिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

ये भी पढ़े :-
  • Data क्या होता है? और इसकी जरुरत क्यों पड़ती है?
  • RAM क्या होता है? What is RAM?

Bluetooth kya hai?

ब्लूटूथ एक बिना तार के तकनीक है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को आपस में जोड़कर डाटा का आदान प्रदान किया जा सकता है। Bluetooth कम्युनिकेशन के लिए Low Frequency Radio Waves को उपयोग करता है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक डिवाइसेज को आपस में जोड़ते हैं जिससे एक छोटे नेटवर्क का निर्माण होता है। अब यह डिवाइस इस नेटवर्क के दायरे में रहकर आपस में कम्युनिकेशन कर सकते हैं। हम दूसरे वायरलेस कम्युनिकेशन के मोड्स की बात करे तो उनकी तुलना में ब्लूटूथ से डाटा ट्रांसमिशन होने की दूरी बहुत कम होती है मतलब कि बहुत ही कम दूरी के भीतर ही डाटा ट्रांसफर हो सकता है। इसे मुख्य रूप से 10 मीटर से लेकर 100 मीटर की दूरी तक डिवाइसेज को आपस में कम्युनिकेट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

  • इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से यूजर को किसी भी तार या एडेप्टर की जरूरत नहीं पड़ती
  • यह उन्हें वायरलेस कम्युनिकेट करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • ब्लूटूथ एक ही समय में ज्यादा से ज्यादा 7 डिवाइस से कनेक्ट हो सकता है
  • इनका मुख्य इस्तेमाल स्मार्टफोन, पर्सनल कंप्यूटर, प्रिंटर्स, डिजिटल कैमरा, लैपटॉप और गेमिंग कंसोल जैसे इंडस्ट्रीज में किया जाता है।

चाहे कोई भी डिवाइस हो, सभी को डाटा ट्रांसफर करने की जरूरत पड़ती है। लेकिन इसमें जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है। वह ये है कि किसी भी दो डिवाइस के बीच डाटा ट्रांसफर करने के लिए दोनों ही डिवाइस में ब्लूटूथ होने चाहिए।

इस टेक्नोलॉजी में डेटा की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

कनेक्शन स्थापित करने से पहले एक स्पेशल पिन देना होता है। उसके बाद दूसरे डिवाइस के म्यूजिक कनेक्शन से जुड़ने के लिए अपनी सहमति देता है। तभी कनेक्शन स्थापित हो पाता है

  • ब्लूटूथ का आविष्कार Ericsson कंपनी में रेडियो प्रणाली पर काम कर रहे Jaap Haartsen ने 1994 में किया था।
  • इसके उपयोग के लिए छह बड़ी कंपनी जैसे Sony Ericsson, Nokia, Toshiba, IBM, Intel Ericsson ने 20 मई  1999 ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप का गठन किया।
  • ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी का नाम डेनमार्क राजा Harald Bluetooth से लिया गया था जो कि 10वीं सदी में शासन किया करते थे।
  • राजा Harald Bluetooth ने उस समय युद्ध में लगे हुए राजाओं को युद्ध के बजाय आपस में समझौता करने की कूटनीति राजनीति की
  • जिससे बहुत से राजा आपस में संपर्क कर युद्ध से बच सके
  • उनके इस काबिलियत और प्रक्रिया से इस तकनीक का नाम ब्लूटूथ रखा गया
  • जो एक समय में कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को आपस में जोड़कर सूचना और डाटा को आदान प्रदान करता है।
  • पिछले कुछ समय ब्लूटूथ के कई वर्जन मार्केट में आ चुके हैं
  • जिसमे V1.2 V2.0 V2.1 V3.0 V4.0 V 4.1 और V5.0 शामिल है।
  • सभी ब्लूटूथ वर्जन की अलग-अलग स्पीड और डाटा रेट रिक्वायरमेंट्स होते हैं।
  • हर वर्जन उनके पहले वाले वर्जन के साथ कंपैटिबल होते हैं
  • जिस डिवाइस में जो ब्लूटूथ का वर्जन होता है वह आसानी से दूसरे वर्जन के साथ ऑपरेट हो सकते है जिससे बिना किसी रूकावट के डाटा आसानी से ट्रांसफर हो सके।

आइए दोस्तों जानते हैं कि ब्लूटूथ काम कैसे करता है?

ब्लूटूथ का उपयोग आज के समय में विभिन्न तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के रूप में किया जाता है जैसे:-

  • माउस और कीबोर्ड को कंप्यूटर से कनेक्ट करने में
  • कंप्यूटर से प्रिंटर को कनेक्ट करके प्रिंट निकालने में।
  • दो कंप्यूटर या लैपटॉप को वायरलेस कनेक्टिविटी कनेक्शन के लिए।
  • ब्लूटूथ के द्वारा स्पीकर को लैपटॉप, कंप्यूटर या मोबाइल से कनेक्ट करने में।
  • दो मोबाइल को ब्लूटूथ के द्वारा कनेक्ट करके डाटा ट्रांसफर जैसे इमेज, सोंग्स, वीडियो इत्यादि एक दूसरे के मोबाइल में भेजने के लिए

इस तरह के कनेक्शन के लिए ब्लूटूथ का इस्तेमाल किया जाता है। मोबाइल और डेक्सटॉप कंप्यूटर में ब्लूटूथ पहले से लगा हुआ आता है। इसके अलावा अलग से ब्लूटूथ डिवाइस भी आते हैं, जिससे मोबाइल और कंप्यूटर के साथ कनेक्ट किया जा सकता है। यह बहुत ही सस्ता होता है।

ब्लूटूथ का इस्तेमाल कैसे करे?

ब्लूटूथ का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आपको  Bluetooth को ON करना पड़ेगा

  • Bluetooth को ON करने के लिए Settings पर जाइये
  • Settings पर जाने के लिए Settings के icon पर Click कोरिये।
  • Settings पर जाने के बाद आपको कुछ Option देखाई देगा उनमे से आपको Bluetooth का Option भी मिलेगा
  • आपको उस Bluetooth के Option पर Click करना है।
  • Bluetooth को ON करने के लिए Bluetooth के पास Enable icon पर Click कोरिये।
  • इसके बाद नीचे आपको दूसरे डिवाइस का नाम देखाई देगा आप जिस डिवाइस से ब्लूटूथ कनेक्ट करना चाहते है उसपे क्लिक करे
  • आब आपके दूसरे डिवाइस पर Pair Request जायगा
  • आपको दूसरे डिवाइस पर जाकर Pair के ऑप्शन पर Click करना है।
  • और Pair हो जाने के बाद दोनों डिवाइस Bluetooth से Connect हो जायगा।

तब यह डिवाइस आपस में जुड़ जाते हैं और इनके बीच एक नेटवर्क का निर्माण होता है। नेटवर्क स्थापित होने के बाद यह डिवाइस संचार करने के लिए बिल्कुल तैयार हो जाता है। अब यह डाटा का आदान प्रदान कर सकता है। यदि कोई डिवाइस नेटवर्क के दायरे से बाहर जाता है तो इनका संपर्क टूट जाता है।

सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को आपस में संचार करने के लिए एक नेटवर्क की जरूरत पड़ती है। इस नेटवर्क के सहारे वो एक दूसरे से जुड़ते हैं और एक दूसरे से कम्युनिकेट करते हैं। जहां पर बहुत सारे ब्लूटूथ यूजर आपस में जुड़े होते हैं और कम्युनिकेट कर रहे होते तब वह एक नेटवर्क कहलाते हैं तब उस नेटवर्क को ब्लूटूथ नेटवर्क कहा जाता है। इन नेटवर्क्स में मुख्य रूप से दो ही एलिमेंट्स होते हैं।

  1. Master
  2. Slave

 

Bluetooth kya hai
Bluetooth kya hai

जब नेटवर्क में बहुत सारे ब्लूटूथ डिवाइसेज कनेक्ट होती हैं तब एक डिवाइस प्राइमरी या Master डिवाइस होती है। तथा सभी अन्य डिवाइस सेकेंडरी या Slave डिवाइस होते हैं। ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी में मुख्य रूप से दो प्रकार के नेटवर्क टेक्नोलॉजी होती है।

  1. Piconet
  2. Sctternet

Piconet नेटवर्क कैसे बनता है?

Piconet  नेटवर्क तब बनता है जब एक Master डिवाइस और एक Slave डिवाइस या फिर एक Master डिवाइस और बहुत सारे Slave डिवाइस मौजूद होते हैं। Piconet में ज्यादा से ज्यादा 7 एक्टिव Slave ही रह सकते हैं। इसलिए इसमें अधिकतम 8 डिवाइसेज यानी की 1 Master डिवाइस और 7 Slave डिवाइस को जोड़ा जा सकता है, जो डिवाइस कनेक्शन शुरू करता है और अन्य डिवाइस उसके द्वारा शुरू किए गए नेटवर्क में जुड़ते हैं तो उस डिवाइस को Master डिवाइस कहां जाता है क्योंकि Piconet में केवल एक ही Master डिवाइस होता है जो अन्य डिवाइस को डाटा भेज सकता है इसलिए Piconet में Master और Slave डिवाइस के बीच में One-to-One या One-to-Many कम्युनिकेशन हो सकता है।

  • One-to-One कम्युनिकेशन में जब Master डिवाइस डाटा भेजता है तो केवल एक ही Slave डिवाइस डाटा रिसीव कर सकता है।
  • One-to-many में कम्युनिकेशन में जब Master डिवाइस डाटा भेज रहा होता है तब 1 से ज्यादा Slave डिवाइस डाटा रिसीव कर सकते हैं।

Bluetooth क्या होता है?

Sctternet नेटवर्क कैसे बनता है?

  • Sctternet मल्टीपल Piconets के कॉम्बिनेशन को स्कैटरनेट कहा जाता है।
  • एक Piconet में जो Slave डिवाइस है वही डिवाइस दूसरे Piconet में Master डिवाइस की तरह काम कर सकता है।
  • इसी वजह से एक डिवाइस दो Piconets का हिस्सा हो सकती है,
  • लेकिन एक डिवाइस एक से ज्यादा Piconets में Master डिवाइस नहीं हो सकती

जैसा कि आप जानते हैं कि Sctternet को एक से ज्यादा Piconet से जोड़ कर तैयार किया जाता है। अगर कोई डिवाइस किसी Piconet में Slave डिवाइस है और दूसरे Piconet में Master डिवाइस है तो वह डिवाइस जिस Piconet में Slave है उस Piconet से प्राप्त डाटा या मैसेज को दूसरे Piconet में जिसमें वह Master डिवाइस है उसमें अपने Slave डिवाइस को वही डाटा भेज सकता है।

ये भी जाने :-

  •  Bitcoin क्या होता है? – What is Bitcoin?
  •  Crypto Currency क्या है? और ये कैसे काम करता है?

ब्लूटूथ के क्या-क्या फायदे होते हैं?

  1. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसको बिना तार के आप आपस में सभी डिवाइसेज को जोड़ सकते हैं।
  2. एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डाटा आदान प्रदान किया जा सकता है।
  3.  इस तकनीक का इस्तेमाल बहुत से प्रोडक्ट जैसे मोबाइल हैंडसेट, कार सिस्टम, प्रिंटर, कीबोर्ड और माउस में इस्तेमाल होता है।
  4. सभी पेरीफेरल डिवाइसेज जैसे कि माउस, कीबोर्ड, प्रिंटर, स्पीकर इत्यादि को हम बड़े ही आसानी से बिना तार के कंप्यूटर के साथ कनेक्ट कर सकते हैं।
  5. इस तकनीक की क्षमता बहुत ज्यादा होती है इससे आप दीवार के आर पार भी डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं।
  6. यह अन्य वायरलेस तकनीकी के मुकाबले सस्ती होती है
  7. इसे उर्जा की बहुत कम जरूरत पड़ती है।
  8. इसीलिए ब्लूटूथ आपके फोन की बैटरी भी कम खपत करती है
  9. ब्लूटूथ डाटा ट्रांसफर में सिक्योर भी प्रदान करता है।
  10. इससे केवल छोटे दायरे में ही संचार होता है इसीलिए दूर स्थित डिवाइसआपके नेटवर्क से छेड़छाड़ नहीं कर सकते
  11. और आप किसी बिना रुकावट के अपना डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं।

तो दोस्तों आशा है कि आप को इस पोस्ट से पता चल गया होगा की Bluetooth kya hai? और यह कैसे काम करता है?  इससे जुड़ी सभी  जानकारी आपको मिल गई होगी। अगर आपके मन में अभी भी कोई संदेह है तो आप कमेंट करके उसके बारे में पूछ सकते है या अगर  Bluetooth kya hai? और यह कैसे काम करता है? से जुडी कोई अन्य जानकारी हो तो आप उसे भी हमसे साझा कर सकते है।

Filed Under: टेक्नोलॉजी

VPN kya hai? पूरी जानकारी Hindi में !

10/06/2021 by kaisehoga Leave a Comment

VPN kya hai?
VPN kya hai?

क्या आप ऑनलाइन सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर परेशान रहते हैं? क्या आपको भी लगता है कि आपकी पर्सनल जानकारी हैकर के हाथ लग जाएगी और क्या आप भी अपनी ईमेल,ऑनलाइन शॉपिंग, बिल पेमेंट को सिक्योर रखना चाहते हैं अगर हाँ तो अब ऐसा करना काफी आसान है क्युकी ऑनलाइन प्राइवेसी को सिक्योर करने के लिए VPN मौजूद है, लेकिन यह VPN kya hai? और यह कैसे आपकी हेल्प कर सकता है। यह जानने के लिए यह पोस्ट पढ़ना होगा जो आपकी बहुत हेल्प करेगा और आपको VPN के बारे में पूरी जानकारी भी मिल जाएगी तो इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें।

VPN kya hai?

असुरक्षित WIFI नेटवर्क पर वेब ब्राउज़ करना या ट्रांजैक्शन करना का मतलब होता है अपने प्राइवेट इंफॉर्मेशन और ब्राउज़िंग हैबिट्स को बेनकाब कर देना। ये सोचने में ही इतना खतरनाक लगता है लेकिन VPN यानी Virtual Private Network, पब्लिक नेटवर्क यूज करते टाइम आपको सुरक्षित नेटवर्क कनेक्शन प्रदान करवाता है

  • ये आपके इंटरनेट ट्रैफिक को एंक्रिप्ट करता है और ऑनलाइन पहचान को छुपता है।
  • ऐसे में थर्ड पार्टी के लिए ऑनलाइन एक्टिविटीज को ट्रैक करना और आपका डाटा चुराना मुश्किल हो जाता है।
  • VPN आपके PC, स्मार्टफोन को सरवर कंप्यूटर से कनेक्ट करता है और आप उस कंप्यूटर के इंटरनेट कनेक्शन का यूज करके इंटरनेट पर ब्राउज़ कर सकते हैं।
  • Virtual Private Network यानी VPN लीगल होते हैं और इनका यूज पूरी दुनिया में सभी करते हैं
  • इसका इस्तेमाल कंपनीज भी करती है ताकि अपनी डाटा को हैकर से बचाया जा सके।
  • इसका इस्तेमाल ऐसे देशों में भी किया जाता है जहां पर कड़े क़ानून होते है।

VPN के बारे में इतनी जान लेने के बाद यह तो समझ में आ गया होगा कि पब्लिक नेटवर्क पर अपनी ऑनलाइन सिक्योरिटी के लिए VPN का यूज किया जा सकता है,

VPN काम कैसे करता है?

जब आप एक सिक्योर VPN सर्वर पर कनेक्ट होंगे तो आपका इंटरनेट ट्रैफिक एक एनक्रिप्टेड टनल से गुजरता है जिसे कोई नहीं देख सकता। यानी ना तो हैकर, ना तो गवर्नमेंट और ना ही आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यानी आपके डाटा को चुराया नहीं किया जा सकता, VPN कैसे काम करता है, इसे समझने के लिए दो सिचुएशन देखते है VPN के बिना और VPN के साथ

VPN kya hai?
VPN kya hai?

1. VPN के बिना

  • जब हम बिना VPN के वेबसाइट को चलाते  हैं तो ISP के जरिए साइट पर कनेक्ट कर पाते हैं।
  • ISP हमें एक यूनिक IP एड्रेस देता है
  • ISP ही हमारा पूरा ट्रैफिक हैंडल करता है
  • वह वेबसाइट का पता लगा सकता है जिस पर हम विजिट कर रहे होते हैं

तो आपको पता चल गया होगा की ऐसे में हमारी प्राइवेसी सुरक्षित नहीं हुई

2. VPN के साथ

जब हम VPN के साथ इंटरनेट से कनेक्ट होते हैं तो हमारे डिवाइस पर जो VPN एप होते हैं, उसे VPN क्लाइंट भी कहा जाता है और वह VPN से सिक्योर कनेक्शन स्थापित करता है।

  • हमारा ट्रैफिक हमेशा ISP के जरिये पास होता है, लेकिन ISP इस ट्रैफिक की फाइनल डेस्टिनेशन नहीं देख पाता
  • जिन वेबसाइट पर हम विजिट करते हैं वह हमारा असली IP एड्रेस नहीं देख पाता।

इस VPN की जरूरत क्यों पड़ी?

सबसे पहले VPN को 1996 में Microsoft ने डिवेलप किया था ताकि रिमोट कर्मचारी यानी ऐसे कर्मचारी जो ऑफिस में बैठकर काम नहीं करते बल्कि उसके बाहर रहते हुए कहीं से भी काम करते हैं। वह कर्मचारी कंपनी के इंटरनेट नेटवर्क पर सिक्योर एक्सेस ले सके, लेकिन जब ऐसा करने से कंपनी की उत्पादकता डबल हो गई तो बाकी कंपनी भी VPN को अपनाने लगी।

VPN kya hai?
VPN kya hai?

हमें VPN का यूज़ कब करना चाहिए?

आपके लिए प्राइवेसी अगर बहुत जरुरी है तो आपको हर बार इंटरनेट से कनेक्ट होते टाइम VPN का यूज करना ही चाहिए, लेकिन फिर भी कुछ परिस्थितियां ऐसी होती है जिनमें आपको VPN का इस्तेमाल जरूर करना ही चाहिए जैसे:-

  1. ऑनलाइन मूवीज या वेब सीरीज देखते समय
  2. ट्रैवलिंग के दौरान पब्लिक WIFI के इस्तेमाल के समय
  3. ऑनलाइन Games खेलते समय
  4. ऑनलाइन शॉपिंग के टाइम

क्या VPN डिफरेंट टाइप्स के होते हैं?

जी हां VPN के 2 बेसिक टाइप्स होते हैं पहला रिमोट एक्सेस VPN और दूसरा Site to Site VPN

  1. रिमोट एक्सेस VPN
  • रिमोट एक्सेस VPN के जरिए यूजर दूसरे नेटवर्क पर इनफॉर्मेशन को कोड में कन्‍वर्ट करके कनेक्ट हो पाते हैं।
  • इसके जरिए कंपनी के इंटरनेट सर्वर या पब्लिक इंटरनेट सर्वर से कनेक्ट हुआ जा सकता है।

2. Site to Site VPN

  • Site to Site VPN को राउटर टू राउटर VPN भी कहा जाता है।
  • इसका इस्तेमाल ज्यादातर कॉर्प्रॉटे इन्वायरमेंट में किया जाता है। खासकर जब एक एंटरप्राइज के कई लोकेशन पर हेड क्वार्टर हो
  • Site to Site VPN ऐसा नजदीकी इंटरनल नेटवर्क बना देता है जहां पर सभी लोकेशन एक साथ कनेक्ट हो सके।
  • इसे इंट्रानेट कहा जाता है

VPN के क्या फायदे है ?

VPN से नीचे दी गयी सभी की छुप जाती है :-

  1. ब्राउजिंग हिस्ट्री,
  2. IP एड्रेस और
  3. लोकेशन
  4. स्ट्रीमिंग लोकेशन
  5. डिवाइस एंड वेब एक्टिविटी

VPN के नुक्सान क्या है ?

बेनिफिट्स के साथ इसके VPN के कुछ नुक्सान भी है जैसे कि:-

  1. स्लो स्पीड
  2. No Cookies प्रोटेक्शन
  3. Not Total प्राइवेसी

    VPN kya hai?

इतना सिक्योर होने के बावजूद भी VPN को कंप्लीट प्राइवेसी प्रोवाइडर नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह हैकर, गवर्नमेंट ISP से तो डाटा को हाइड कर सकता है लेकिन खुद VPN प्रोवाइडर चाहे तो आप की डिटेल्स देख सकते हैं तो ऐसे में एक भरोसेमंद VPN प्रोवाइडर से ही सर्विस लेना बेहतर होता है और एक सही VPN प्रोवाइडर का पता आपको इन पॉइंट्स के जरिए लग जाएगा:-

  1. VPN जरुरत के हिसाब से स्पीड दे सके
  2. आपकी प्राइवेसी सिक्योर रहे
  3. प्रोवाइडर लेटेस्ट प्रोटोकॉल का यूज करें,
  4. उसकी रेपुटेशन अच्छी हो।
  5. उसकी डाटा लिमिट आपकी रिक्वायरमेंट से मेल खाये
  6. सर्वर की लोकेशन आपको पता हो
  7. आप मल्टीपल डिवाइस पर VPN एक्सेस कर सकते हो
  8. VPN की फीस उपयुक्त हो
  9. ज्यादा से ज्यादा इंक्रिप्शन अवेलेबल हो
  10. बढ़िया कस्टमर सपोर्टप्रदान किआ जाए।
  11. फ्री ट्रायल अवेलेबल हो
  12. प्रचार को ब्लॉक करने की फैसिलिटी भी हो

क्या VPN को किसी भी डिवाइस से कनेक्ट किया जा सकता है?

VPN kya hai?
VPN kya hai?

ऐसे सभी डिवाइसेज जो इंटरनेट से कनेक्ट हो सकते हैं, उनमें वीपीएन का यूज हो सकता है और ज्यादातर वीपीएन प्रोवाइडर्स मल्टीपल प्लेटफार्म पर यह सर्विस दिया करते हैं। जैसे

  1. लैपटॉप,
  2. टेबलेट,
  3. स्मार्टफोंन,
  4. वॉइस असिस्टेंट,
  5. स्मार्ट उपकरण
  6. स्मार्ट टीवी
  • बहुत से Top प्रोवाइडर अपने VPN का फ्री वर्जन भी प्रोवाइड करवाते हैं
  • लेकिन फ्री वर्जन के लिए कुछ लिमिटेशन हो सकती है जैसे कि डाटा लिमिट
  • जबकि कुछ VPN प्रोवाइडर पेड वर्जन का फ्री ट्रायल प्रोवाइड कराती है।

ऐसे में VPN लेते समय बजट देखा जाना तो आम बात है लेकिन इतना जरूर ध्यान रखना चाहिए कि वह VPN प्रोवाइडर आपको बेसिक फीचर्स तो जरूर दे जो है प्राइवेसी। ExpressVPN, TunnelBear और StrongVPN कुछ ऐसी वेबसाइट है जहां से अपने Windows PC , Mac, एंड्रॉयड, आईफोन और आईपैड के लिए VPN क्लाइंट डाउनलोड किया जा सकता है और फ्री ट्रायल लिए जा सकते हैं।

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इसी के साथ VPN से जुडी सभी इंपोर्टेंट इनफार्मेशन कंप्लीट हो गई है और हम यहां पर एक बात और आपको बताना चाहेंगे कि ये VPN  जैसी सर्विसेज हमें ऑनलाइन सिक्योरिटी और प्राइवेसी देने के लिए है तो हम इसका यूज हमारे फायदे के लिए कर सकते हैं, लेकिन किसी तरह के गलत काम में इसका फायदा लेना हमें नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसीलिए सही दिशा में ही चलते रहिए तो हमें उम्मीद है यह जानकारी VPN kya hai? और यह कैसे आपकी हेल्प कर सकता है। आपके काम आई होगी और इसे बाकी लोगों के साथ शेयर करना बिल्कुल ना भूलें। कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइए कि यह पोस्ट आपको कैसा लगा और आगे किस टॉपिक पर आप जानना चाहते हैं।

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Google Photos क्या है? इसे कैसे इस्तेमाल करते है?

30/04/2021 by kaisehoga Leave a Comment

Google Photos क्या है?
Google Photos क्या है?

 

Google ने 2015 में Google Photos नाम की एक सर्विस चालू की थी यह आपके फोटोज और वीडियोज  को सेव करके रखता है। ये एक क्लाउड स्टोरेज प्लेटफॉर्म है। आप चाहे जितने फोन बदले Android फ़ोन से IOS फोन पर आ जाए या किसी लैपटॉप को यूज़ करने लगे  गूगल पर पड़ी हुई फोटोज और वीडियोज  हमेशा आपके साथ रहते हैं। वह भी बिना किसी झमेले के

आपके फोन में पड़े हुए फोटो और वीडियो Google के पास सेव हो जाते हैं। आप उन्हें  अगर फोन के स्टोरेज से डिलीट भी कर देंगे तो तब भी यह आपके पास रहेंगे। इसके जरिए आप अपने फोन से स्टोरेज भी खाली कर सकते हैं। आज के समय में लगभग हर कंपनी के एंड्रॉयड स्मार्टफोन में गूगल फोटोज पहले से इंस्टॉल आता है। लेकिन ये Google Photos क्या होता है? इसे कैसे इस्तेमाल करते है? हम आपको यह बताएंगे।

इसके लिए आपको कोई अलग से Google अकाउंट नहीं बनाना होता। आपको अपने Google अकाउंट का ही इस्तेमाल करना होता है जिसकी मदद से आप YouTube या Gmail चलाते है।

  • सबसे पहले Google Photos को चालु कर लीजिये।
  • अगर आपके फ़ोन में Google Photos नहीं है तो आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते है 
  • Android फ़ोन के लिए Google Photos – Apps on Google Play
  • IOS के लिए  Google Photos on the App Store (apple.com)
  • अगर आप Android फोन में Google Photos चालु करेंगे तो वही अकाउंट लॉगिन होगा
  • जो अकाउंट आप YouTube या Gmail में यूज़ करते है।
  • अगर आप IOS फोन चला रहे हैं तो आपको ऐप को ओपन करे 
  • ओपन करने के बाद आपको अपने Google या अपने Gmail आईडी से इसे लॉगइन करना होगा।

गूगल फोटोज की बैकअप सेटिंग यहां पर मिलेगी:-

  • आप Google Photos को पहली बार चालू करेंगे।
  • ये आपसे कहेगा कि फोटो अपलोड सेटिंग को चालू कर लीजिए।
  • सेटिंग चालू करते ही आपके फोन के कैमरे से लिए हुए सारे फोटोज और वीडियोज  यहां पर अपलोड होने लग जाएंगे।
  • अगर आप इस स्टेप को मिस कर देते है तो आप ऐप में ऊपर की तरफ दायी ओर अपने प्रोफाइल के ऊपर क्लिक करेंगे
  • क्लिक करने के बाद बैकअप सेटिंग्स में जाइए
  • और सबसे ऊपर की तरफ Backup and Sync वाले बटन को ऑन कर दीजिए

Google Photos क्या है?

गूगल फोटोज आपको तीन तरह की क्वालिटी मैं फोटो अपलोड करने का ऑप्शन देता है।

  1. Original Quality
  2. High Quality
  3. Express 
  • Original Quality में आपके फोटोज और वीडियोज बिना किसी बदलाव के जिस क्वालिटी में वो खींची गई है वैसे के वैसे ही अपलोड हो जाएंगे।
  • High Quality इसमें फोटो को 16MP साइज में बदल दिया जाता है और वीडियोज को HD क्वालिटी में।
  • Express में फोटो की क्वालिटी 3MP तक और वीडियो को स्टैंडर्ड डेफिनेशन यानी SD क्वालिटी में बदल दिया जाता है।

Original क्वालिटी में फोटो सेव करने करने के लिए आपके पास बस 15GB स्टोरेज होती है। उसके ऊपर अगर आपको और स्टोरेज चाहिए तो आपको पैसा खर्च करना पड़ेगा। जबकि High Quality और Express क्वालिटी में फोटो सेव करने पर आपके पास 1 जून 2021 तक अनलिमिटेड स्टोरेज है। मतलब कि इस तारीख से पहले आप जितना चाहे उतनी फोटो सेव कर सकते है कोई दिक्कत नहीं होगी। मगर 1 जून के बाद से High Quality और Express वाले फोटो भी आपके गूगल अकाउंट के स्टोरेज खाएंगे।

आप जो फोटो क्लिक करते हैं वह आमतौर पर 4MB के आसपास की होती है। अगर आप Original Quality चुनेंगे तो बहुत जल्दी स्टोरेज खत्म हो जाएगी। अगर आपको अपने फोटो को प्रिंट करवाना है तभी आप अपने फोटो को Original Quality में सेव करिए।और अगर आपको उसका प्रिंट नहीं निकलवाना तो फिर High Quality में फोटो सेव करिए।

  • Quality सेलेक्ट करने के लिए बैकअप सेटिंग में जाकर अपलोड साइज पर क्लिक करना होगा।
  • इसके बाद Original Quality, High Quality और Express तीनों ऑप्शन आपके सामने आ जाएंगे।

Google Photos क्या है?

 

  • बैकअप सेटिंग्स में ही अपलोड साइज के नीचे आपको डाटा यूसेज लिखा हुआ मिलेगा।
  • इस पर क्लिक करते ही आपके सामने 5 ऑप्शनआ जाएंगे :- No Data,  5MB, 10MB, 30MB और अनलिमिटेड।

Google Photos क्या है?

इसका मतलब यह है कि क्या आप फोटोस को अपलोड करने के लिए आप अपने मोबाइल के इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल करना चाहते हैं अगर हां तो कितना डाटा ?No Data सेलेक्ट करने पर फोटो और वीडियो सिर्फ WIFI  से कनेक्ट होने पर ही अपलोड होंगे।

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किस-किस फोल्डर के फोटो सेव होंगे?

गूगल फोटोज में बैकअप चालू करने पर ये फोन के कैमरे वाले फोल्डर में पड़े हुए फोटो और वीडियो अपलोड करना चालू कर देता है। अगर आप इन फोटोज के अलावा दूसरे फोल्डर के फोटोज अपलोड करना चाहते हैं तो उसका चुनाव इस तरह से करे :-

  • बैकअप सेटिंग में सेल डाटा यूसेज के नीचे एक ऑप्शन है डिवाइस फ़ोल्डर्स इस पर क्लिक करे
  • आपके पास एक लिस्ट आ जाएगी, जिसमें आपके फोन के सभी फोल्डर होंगे जिनके अंदर फोटोज और वीडियोज पड़े हुए हैं।
  • हर फोल्डर के सामने ऑन ऑफ वाला बटन होगा ।

मान लीजिए आप फोटो एडिट करते हैं और इन एडिट की हुई फोटोज को अपलोड करना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए इस लिस्ट में  एडिट नाम का फोल्डर ढूंढिए और उसके सामने वाला बटन चालू कर दीजिए। अगर आप अपलोड किए हुए फोटोज को अगर आप अपने फोन की स्टोरेज से हटाकर फोन में जगह बनाना चाहते हैं तो ये भी संभव है :-

  • इसके लिए आप गूगल फोटोज में सबसे ऊपर अपने प्रोफाइल पर क्लिक करंगे
  • इसके बाद आपको स्टोरेज फ्री करने का ऑप्शन मिलेगा।
  • इस पर क्लिक करने के बाद फोटो सिर्फ आपके फोन से डिलीट हो जाएगी।
  • लेकिन ये सभी फोटोज और वीडियोज गूगल फोटो के क्लाउड स्टोरेज में  सेव रहेगी।
  • इन्हें आप किसी दूसरे फोन में या लैपटॉप में https://photos.google.com लिंक पर जाकर देख सकते हैं।

एक और तरीका है जिसकी मदद से बिना क्लाउड से फोटो हटाए अपने फोन से डिलीट कर सकते हैं।

  • फाइल मैनेजर एप खोलकर पिक्चर्स को डिलीट कर दीजिए।
  • यह फोन से हट जाएंगे मगर गूगल फोटोज पर सेव रहेंगे।

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आपको ये जानकारी Google Photos क्या है? कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताये और अगर इससे जुड़े कोई और सवाल आपके मन में हो तो वो भी आप पूछ सकते है या इससे जुडी कोई इनफार्मेशन आपके पास हो तो वो भी बता सकते है।

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RAM क्या है? RAM Ka Full Form क्या है?

23/04/2021 by kaisehoga Leave a Comment

RAM Ka Full Form
RAM क्या है? RAM Ka Full Form क्या है?

आज के टाइम में आपको कुछ पता हो या ना हो लेकिन आपको कुछ बेसिक चीजों के बारे में जानकारी तो होनी जरूरी चाहिए। क्योंकि आज का टाइम है टेक्नोलॉजी का टाइम और आज हम ऐसे ही 1 वर्ड के बारे में जानेंगे जिसका नाम है RAM जी हां RAM अब सवाल ये है What is RAM? यह रैम क्या होता है? और RAM Ka Full Form क्या है? – आप इस शब्द से सभी स्मार्टफोन यूजर लगभग परिचित ही होंगे क्योंकि जब आप नया मोबाइल लेने जाते हैं तब मन में यही सवाल रहता है कि आपको  कितने रैम वाला मोबाइल लेना चाहिए जिससे कि आगे चलकर आपको किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े

कंप्यूटर हो या लैपटॉप हो या फिर आपका मोबाइल सभी डिवाइस में यह बहुत ही इंपॉर्टेंट चीज मानी जाती है क्योंकि इसके कारण ही कोई डिवाइस बेहतर काम कर पाता है। अगर आप भी नहीं जानते हैं तो हम आपको बताने वाले हैं कि आज RAM क्या होता है? RAM Ka Full Form क्या है? और आपके मोबाइल या कंप्यूटर में कितने रैम होनी चाहिए?

RAM क्या है? RAM Ka Full Form क्या है?

  • RAM Ka Full Form होता है Random Access Memory.
  • RAM को Direct Access Memory भी कहते है

Random Access Memory इसके फुल फॉर्म से ज्यादा कुछ आपको समझ नहीं आएगा तो हम इसको आसान भाषा में आपको बताते हैं। मान लीजिए कि आप ऑफिस में बैठे हैं और आपको काम करने के लिए एक फाइल चाहिए होगी और फाइल किसी दूसरे कमरे में रखी हुई है। तो जब भी आपको काम करना होगा तो आप दूसरे कमरे में जाएंगे और उस फाइल को ले आएंगे और डेस्क पर रख कर के उस फाइल पर काम करेंगे, लेकिन एक समय ऐसा भी आ सकता है जब आपको एक साथ बहुत सारे काम करने पड़ते हैं और इसके लिए आपको बहुत सारे फाइल्स की जरूरत पड़ेगी। तो इस ज्यादा काम के लिए आपको ज्यादा फाइल्स रखने के लिए बड़ी डेस्क की जरूरत भी पड़ सकती है। तो जब आपको कोई सा भी काम करना होगा तो डेस्क से उसकी फाइल उठाएंगे और काम करने लग जाएंगे। जब आपका काम हो जाएगा तो आप खत्म अंसारी फाइल्स को उसी कमरे में रख देंगे।

 

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    RAM Ka Full Form
    RAM Ka Full Form

तो जो RAM मोबाइल में होती है वह भी इसी तरीके से काम करती है जो फाइल्स वाला दूसरा कमरा है आप उसे इंटरनल Memory मान सकते हैं जिसमें आपके सारे फाइल और एप्लीकेशन है और जो डेस्क है वह वह आपकी RAM हो गई, जिस पर आप काम करते हैं। यहां इसका काम आपके आदेश  के अनुसार यानी आपकी डायरेक्शन के अनुसार किसी भी ऐप को लाकर के उसे रन करना है। तो यहाँ इसका काम आपके आदेश के अनुसार किसी भी एप्लीकेशन को लाकर के उसे तुरंत रन करना है क्युकी किसी भी ऐप को ओपन करने में कुछ ही सेकंड्स का टाइम लगता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि RAM की स्पीड बहुत फास्ट होती है। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि 1GB रैम को बनाने मे इतना खर्चा आता है जितना कि 16GB के मेमोरी कार्ड बनाने में आता है तो CPU को जिस फाइल की जरूरत  होती है RAM उसे जल्दी से जल्दी पहुंचाने का काम करती है

जब आप किसी Game को इंस्टॉल करते हैं। तो वो RAM में इंस्टॉल नहीं बल्कि वह फोन की इंटरनल मेमोरी मे इंस्टॉल होते हैं और जब आप उस Game पर क्लिक करते हैं। तो वह स्टार्ट होने के लिए फोन की मेमोरी से RAM पर आ जाता है और RAM काम करना स्टार्ट कर देता है। इस बीच में CPU और RAM के बीच बहुत तेजी से इंफॉर्मेशन का आदान-प्रदान होता है, लेकिन जब आपके कंप्यूटर में या मोबाइल में RAM कम होती है और आप कोई बड़ी एप्लीकेशन खोल के रन करते हैं तो इस सिचुएशन में मोबाइल या कंप्यूटर हैंग होने लग जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि ज्यादा RAM मल्टीटास्किंग के लिए उपयोगी होती है। और वैसे भी आजकल तो सुपर मल्टीटास्किंग है व्हाट्सएप भी देखना है फेसबुक भी देखना है गाने भी सुनने हैं कैलकुलेशन भी करनी है चैटिंग भी करनी है। मतलब कोई लिमिट नहीं है।

RAM का होना कितना जरूरी है?

RAM क्या होता है? यह तो आप जान ही गए अब यह भी जान लेंना चाहते होंगे कि आपके फोन या मोबाइल में कितने रैम होना जरूरी है तो आज के टाइम में देखा जाए तो किसी भी मोबाइल में कम से कम 2GB RAM तो होना ही चाहिए। क्योंकि आजकल की एप्लीकेशन का साइज धीरे-धीरे करके बढ़ रहा है जैसे फेसबुक की बात करें तो वह जब ओपन होती है तो 200 से 300 एमबी तक रैम खर्च हो जाती है और फेसबुक ही नहीं बल्कि सारी एप्लीकेशन के साइज अपग्रेड होने के साथ इनके साइज भी बढ़ते जाते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि मोबाइल में मल्टीटास्किंग कर सके तो आपके मोबाइल में कम से कम 2GB रैम होना बहुत जरूरी है जिससे कि आपका मोबाइल हैंग होने की दिक्कत से आप निजात पा सके

कितने GB RAM वाला मोबाइल या कंप्यूटर लेना चाहिए?

वैसे आप चाहे तो 3GB या 4GB वाले स्मार्टफोन पर भी ध्यान दे सकते हैं। क्योंकि अभी तो 2GB ही काम दे देगा, लेकिन फ्यूचर में आपको 2GB में भी दिक्कते होने लगेगी तो अब आपको ये तो पता लग ही गया होगा की RAM क्या होता है? और आपको एक चीज और बता दें कि जितना हो सके उतनी ही ज्यादा RAM के डिवाइस आपको खरीदना चाहिए क्योंकि RAM ऐसी चीज है जिसे ही बाद में मोबाइल में बढ़ाया नहीं जा सकता। हां RAM कंप्यूटर या लैपटॉप में बढ़ावा सकते हैं लेकिन फोन में नहीं।

आप फोन के इंटरनल मेमोरी को एसडी कार्ड या फिर किसी दूसरे हार्ड ड्राइव को लगाकर आप उसके इंटरनल मेमोरी को तो बढ़ा सकते हैं लेकिन आप फोन में RAM नहीं बढ़ा सकते। फोन में RAM लगाने का ऑप्शन इसलिए नहीं मिलता क्योंकि कुछ एप्लीकेशन ऐसी भी होती है। जो रूट होने के बाद फोन की मेमोरी को RAM में बदल देती है, लेकिन इसे कुछ ज्यादा फायदा नहीं होता बल्कि मोबाइल पहले से बहुत ही ज्यादा स्लो हो जाता है।

Random Access Memory की विशेषताए

  • Ram CPU का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।
  • रैम के बिना कम्प्यूटर अपना काम नही कर सकता हैं।
  • रैम Computer की प्राथमिक मेमोरी होती हैं।
  • RAM मंहगी होती हैं और Storage से अलग होती हैं।
  • रैम की मदद से हम उपलब्ध डाटा Randomly Access कर सकते है।
  • Ram बहुत तेज़ी से Data का आदान प्रदान करती हैं।

Ram के प्रकार :-

  • SRAM – स्टेटिक रेम
  • DRAM – डायनामिक रेम
1. SRAM
  • SRAM का पूरा नाम Static Random Access Memory होता हैं.
  • इसमें “Static” का मतलब यह होता है कि इस रैम में Data स्थिर रहता हैं
  • जिससे कंप्यूटर को बार-बार Refresh करने की कोई जरुरत नहीं होती।
  • इस RAM को Volatile Memory भी कहां जाता है जिसके पीछे कारण यह है कि Power On रहने तक इसमे Data मौजूद रहता हैं और Power Off  होते ही अपने आप इसका सारा Data डिलीट हो जाता है,
  • इसको Cache Memory की तरह भी यूज़ में लिया जाता हैं।
2. DRAM
  • DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory होता हैं.
  • इसमें “Dynamic” का अर्थ  गतिशील होता है, जिसका अर्थ हमेशा परिवर्तित होते रहना है.
  • इस RAM को बार बार Refresh करने की ज़रूरत होती है जिससे इस Memory में Data स्टोर किया जा सके।
  • इस तरह की Memory का सबसे बेहतरीन उदाहरण DDR3 रैम है।
  • ज्यादातर CPU की मेन मेमोरी के रुप में DRAM का ही यूज़ किया जाता हैं.
  • इसका प्रमुख कारण इससे प्राप्त होने वाला Data है जो सामान अंतराल में आसानी से मिल जाता है और नया Data भी अपने आप स्टोर होता रहता है.
  • इससे CPU बिना किसी रुकावट के स्पीड से काम करता रहता है।

हमे उम्मीद है आपको समझ आ गया होगा की What is RAM? ये रैम क्या होता है? RAM Ka Full Form क्या है? और ये कैसे काम करता है? और आपको कितने GB रैम वाला मोबाइल या कंप्यूटर लेना चाहिए? अगर आपको इस पोस्ट से जुड़ी या कोई और चीज के बारे में जानकारी चाहते हो तो आप हमे कमेंट करके बता सकते है!

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ROM क्या होता है? ROM full form क्या है?

22/04/2021 by kaisehoga Leave a Comment

 

ROM क्या होता है? ROM full form क्या है?
ROM क्या होता है? ROM full form क्या है?

जैसे भगवान ने हमारा मस्तिष्क बनाया है ताकि हम चीजें, लम्हे, यादें और बातों को अपने दिमाग में स्टोर कर सके और जरूरत पड़ने पर हमें वह सब याद रह सके ठीक उसी तरीके से कंप्यूटर के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर पर बनाया है। साथ ही इसमें डाटा स्टोर करने के लिए एक चिप भी बनाई जिसे मेमोरी कहते हैं। कंप्यूटर में प्रोग्राम डाटा और इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए मेमोरी की जरूरत होती है ताकि हम जब भी कंप्यूटर से किसी डाटा मांग करे तो कंप्यूटर अपने मेमोरी में स्टोर अपने डाटा को निकाल कर हमें दिखा सके। वैसे तो कंप्यूटर में मेमोरी बहुत से प्रकार की होती है। लेकिन आज हम ROM क्या होता है? इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं कि आखिर यह ROM क्या होता है? ROM full form क्या है? और इसका कार्य क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं

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ROM full form क्या होता है?

  • ROM full form – Read Only Memory होता है
  • हिंदी में ROM full form होता है केवल पठनीय स्मृति

ROM क्या होता है?

  • ROM केवल डेटा को रीड यानी पढ़ने के लिए होती है।
  • यह एक तरह की चिप के रूप में कंप्यूटर के मदरबोर्ड में लगाई जाती है।
  • जो डाटा को स्थाई रूप से यानी परमानेंटली स्टोर करती है।
  • यह एक नॉन वोलेटाइल मेमोरी होती है।
  • मतलब जैसे कि कंप्यूटर सिस्टम की पावर सप्लाई बंद हो जाती है तो ROM अपने चिप में स्टोर हुए डाटा को नहीं खोती।
  • ROM वो मेमोरी है जिसमें कंप्यूटर को स्टार्ट करने वाले प्राथमिक प्रोग्राम और सेटिंग होती है जो कंप्यूटर को बूट करने में मदद करती है।
  • बूटिंग कंप्यूटर को शुरू करने की प्रक्रिया को कहा जाता है।
  • इस मेमोरी में स्टोर किए गए प्रोग्राम परिवर्तित और नष्ट नहीं किए जा सकते उन्हें केवल रीड किया जा सकता है।
  • इसीलिए यह मेमोरी Read Only Memory कहलाती है।
  • रोम का प्रयोग कंप्यूटर में एक फर्मवेयर सॉफ्टवेयर को स्टोर करने के लिए भी किया जाता है।

फर्मवेयर सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर में उस समय इंस्टॉल किया जाता है जब इसके हार्डवेयर जैसे कि कीबोर्ड, हार्ड ड्राइव, वीडियो कार्ड इत्यादि फैक्ट्री में बनाए जाते हैं इसीलिए इस सॉफ्टवेयर को हार्डवेयर को चलाने वाला सॉफ्टवेयर भी कहा जाता है और यही फर्मवेयर सॉफ्टवेयर ROM में स्टोर किया जाता है जिसमें डिवाइस को एक दूसरे के साथ कम्युनिकेट और इंटरैक्ट करने के इंस्ट्रक्शन रहते हैं।

रोम का उपयोग कंप्यूटर के साथ-साथ अन्य बुनियादी इलेक्ट्रिक डिवाइस है जैसे वॉशिंग मशीन, डिजिटल वॉच, टीवी, वीडियो गेम, रोबोट आदि में भी किया जाता है। रोम के अलावा कंप्यूटर में RAM और सेकेंडरी मेमोरी का भी उपयोग किया जाता है। RAM जिसे Random Access Memory कहा जाता है यह कंप्यूटर की टेंपरेरी मेमोरी होती है क्योंकि कंप्यूटर को बंद करने पर इसमें स्टोर डाटा नष्ट हो जाता है। इसीलिए इसे वोलेटाइल मेमोरी भी कहा जाता है।

RAM और ROM ये दोनों मेमोरी कंप्यूटर की मेन मेमोरी होती है और सेकेंडरी मेमोरी कंप्यूटर की एक्सटर्नल मेमोरी होती है। सेकेंडरी मेमोरी में स्टोर किए गए डाटा भी परमानेंट होकर रहते हैं। सेकेंडरी मेमोरी की डाटा स्टोरेज कैपेसिटी मेन मेमोरी की तुलना में बहुत अधिक होती है। हार्ड डिस्क, सीडी ड्राइव,पेनड्राइव ये सभी सेकेंडरी मेमोरी होती है जिसका इस्तेमाल आजकल हर कोई करता है एक्स्ट्रा डाटा स्टोर करने के लिए।

अब हम जानेंगे कि ROM कैसे काम करता है?

  • ROM एक चिप के आकार की होती है जो कि मदरबोर्ड और सीपीयू से जुड़ी रहती है।
  • इसका कार्य एक स्टोरेज के रूप में किया जाता है जिसके अंदर हम कोई डाटा सेव कर सकते हैं
  • यह एक परमानेंट स्टोरेज डिवाइसेज है, जिससे हम कभी भी डाटा को फिर से एक्सेस कर सकते हैं।
  • ये हमारे कंप्यूटर या मोबाइल की बूटिंग प्रोसेस और सिस्टम को स्टार्ट करने में हमारी मदद करता है।
  • यह हमारे कंप्यूटर और मोबाइल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  • इसके बिना हम डाटा स्टोर करके नहीं रख सकते हैं।
  • जब हम कंप्यूटर या मोबाइल ऑन करते हैं तब किसी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन को चलाने के लिए सिस्टम ROM से एप्लीकेशन का डाटा एक्सेस करती है और फिर RAM की मदद से एप्लीकेशन काम करना शुरु करता है।
  • जब हम एप्लीकेशन को बंद कर देते हैं तब उसका डाटा वापस ROM में चला जाता है और RAM से डाटा खाली हो जाता है।
  • हम जितने भी इमेजेस, वीडियोस, एप्लीकेशन इंस्टॉल या डाउनलोड करते हैं वह सभी ROM में सेव हो कर रहते हैं।

ये ROM कितने प्रकार के होते हैं?

ROM को उसके स्ट्रक्चर मैन्युफैक्चरर डाटा मिटाने के अनुसार तीन हिस्सों में बांटा गया है:-

  1. PROM
  2. EPROM
  3. EEPROM
PROM :-

PROM को प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी कहा जाता है। ये एक मेमोरी चिप होती है जिससे OTP यानी वन टाइम प्रोग्रामेबल चिप भी कहा जाता है क्योंकि इसमें डाटा को केवल एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है उसके बाद इसमें डाटा को इरेज़ यानी मिटाया नहीं जा सकता।

यूज़र मार्केट से खाली या ब्लैंक PROM खरीदता है और उसमें जो इंस्ट्रक्शन डालना चाहता है, वह डाल सकता है। इस मेमोरी में छोटे-छोटे फ्यूल्स होते हैं जिनके अंदर प्रोग्रामिंग के जरिए इंस्ट्रक्शन डाला जाता है जिसे दोबारा अपडेट नहीं किया जा सकता। PROM में स्थाई रूप से डाटा को राइट करने के लिए प्रोग्रामिंग को बर्निंग कहा जाता है और इसके लिए एक विशेष मशीन की आवश्यकता होती है जिसे PROM बर्नर कहा जाता है। PROM का उपयोग डिजिटल डिवाइस में डाटा को हमेशा के लिए सुरक्षित करने के लिए किया जाता है।

EPROM :-

ये EPROM को इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी कहा जाता है। इस चिप पर स्टोर की गई स्टोर इंफॉर्मेशन को अल्ट्रावॉयलेट किरण द्वारा 40 मिनट के लिए लाइट पास किया जाता है। तब जाकर इसकी मेमोरी को मिटाया जा सकता है। इस EPROM की खास बात यह है कि से हम आसानी से इरेज भी कर सकते हैं और प्रोग्राम भी कर सकते हैं। EPROM को रिप्रोग्राम्ड भी किया जा सकता है। मतलब इसमें डाटा को इरेज करने के बाद फिर से प्रोग्राम डाले जा सकते हैं। EPROM सस्ती और भरोसेमंद होती हैं।

इस EPROM में कुछ कमियां भी है जैसे कि :-
  • इसमें डाटा को इरेज़ करने के लिए बिजली की खपत ज्यादा होती है।
  • इसके डाटा को मिटाने और दोबारा प्रोग्राम शुरू करने के लिए इसे कंप्यूटर से निकालना पड़ता है।
  • जब हम अल्ट्रावॉयलेट किरण की मदद से डाटा को डिलीट करते हैं तो इसमें चिप का पूरा डाटा डिलीट हो जाता है।
EEPROM :-

EEPROM को इलेक्ट्रिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी कहा जाता है। ये एक अनचेंजिंग मेमोरी यानी अपरिवर्तन शील मेमोरी है क्योंकि इसमें भी डाटा को स्थाई रूप से स्टोर किया जाता है। फ्लैश मेमोरी को इलेक्ट्रिकल सिगनल यानी बिजली की मदद से इसके स्थाई डाटा को हटाया जा सकता है। इस प्रकार की मेमोरी को उपयोग डिजिटल कैमरा और MP3 प्लेयर में होता है।

EEPROM को हाइब्रिड मेमोरी भी कहते हैं क्योंकि यह RAM के समान डाटा को रीड ओर राइट करता है। लेकिन ROM के सामान डाटा को स्टोर करके रखता है। यह RAM और ROM दोनों का एक मिश्रण है। EPROM की तरह ही इस रूम को डाटा मिटाने के लिए कंप्यूटर से बाहर निकालना पड़ता है और साथ ही इसमें चुने हुए डाटा को भी डिलीट कर सकते हैं जो कि हम EPROM में नहीं कर पा रहे थे क्योंकि वहां पर चिप का पूरा डाटा डिलीट हो जाता है। EEPROM में प्रोग्राम करना आसान है और इसमें अनगिनत बार रिप्रोग्राम किया जा सकता है।

ROM के फायदे :-

  1. यह सिस्टम सॉफ्टवेयर या फर्मवेयर सॉफ्टवेयर को स्टोर करने के लिए किया जाता है
  2. ये RAM से बहुत सस्ता होता है और इसके मुकाबले काफी ज्यादा साइज में भी उपलब्ध रहता है
  3. कभी भी ROM का डाटा अपने आप नहीं बदलता।
  4. इसमें सिर्फ डाटा को रीड किया जा सकता है।
  5. अगर हम चाहे तो इसमें कोई नया डाटा जोड़ नहीं सकते
  6. क्योंकि इसमें डेवलपर और प्रोग्राम और द्वारा एक ही बार डाटा को राइट किया जाता है।
  7. ये एक नॉन वोलेटाइल प्रकृति का है जो कि प्रोग्राम को स्थाई बनाए रखता है
  8. जिससे कि कंप्यूटर के बंद होने से भी हमारा डाटा सुरक्षित और एक लंबे समय तक बना रहता है
  9. ROM कंप्यूटर के दूसरे मेमोरी RAM से अधिक भरोसेमंद होता है
  10. क्योंकि RAM में डाटा तब तक रहता है जब तक कंप्यूटर में पावर सप्लाई रहती है।
  11. इसको बहुत ही सोच समझ के प्रोग्राम या इंस्ट्रक्शन डाले जाते हैं क्योंकि इसे हम बार-बार बदल नहीं सकते।

तो दोस्तों उम्मीद है आज के इस पोस्ट से आपको पता लग गया होगा कि ROM क्या होता है? ROM full form क्या है? और ये कैसे काम करता है? आपको ये पोस्ट  कैसा लगा हमें जरूर बताएं और आपको आगे किस चीज के बारे में जानकारी चाहिए आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। हम आपको उस चीज के बारे में बताने की पूरी कोशिश करेंगे धन्यवाद

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Data Kya Hota Hai? और इसकी जरुरत क्यों पड़ती है?

15/04/2021 by kaisehoga Leave a Comment

Data चाहे किसी भी तरह का हो Data की जरूरत सबको होती है खास बात यह है कि हर बिजनेस के हिसाब से Data उपलब्ध भी होता है। लेकिन सवाल यह है कि Data Kya Hota Hai? और इसकी जरुरत क्यों पड़ती है? किसी भी बिजनेस के लिए यह इतना इंपॉर्टेंट क्यों होता है इस सवाल का जवाब आपको इस पोस्ट में जरूर मिलेगा इसलिए आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें और Data से जरूर सारी बातें जान ले।

Data Kya Hota Hai?
Data Kya Hota Hai?

सबसे पहले बात कर लेते हैं कि Data Kya Hota Hai? सामान्य रूप से देखें तो Data कैरेक्टर्स का एक ऐसा सेट है जो किसी मकसद के लिए कलेक्ट और ट्रांसलेट किया जाता है। Data को कलेक्ट करने के का मेन रीजन एनालिसिस करना होता है। Data में कोई भी कैरेक्टर Text Number, Picture, Sound और Video शामिल हो सकते हैं। जहा तक कंप्यूटर Data की बात करें तो यह Data ऐसी इंफॉर्मेशन होती है जो कंप्यूटर के द्वारा प्रोसेस और स्टोर की जाती है।

  • यह Text और Document के फॉर्म में भी हो सकता है
  • और  Imeges, ऑडियो क्लिप्स, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या किसी भी और रूप में हो सकता है।
  • इस Data को सीपीयू के द्वारा प्रोसेस किया जाता है
  • और कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में फाइल और फोल्डर के रूप में स्टोर किया जाता है।
  • कंप्यूटर स्टोरेज में Data बाइनरी डिजिट में रहता है यानी 1 और जीरो के फॉर्म में।
  • Data वर्ड लेटिन वर्ड से आया है और इसका अर्थ होता है “Something Given”
  • Data एक Pleural वर्ड है और Singular फॉर्म DATUM होती है।
  • लेकिन अभी ये Data वर्ड इतना चलन में आ गया है कि Singular वर्ड के लिए यूज के लिए भी Data वर्ड ही इस्तेमाल किया जाता है।

तो कंप्यूटर में Data इनपुट होने से पहले Raw होता है और जब यह Raw Data को कंप्यूटर में इनपुट किया जाता है तब यह Data प्रोसेस होता है तो इस तरह से Raw Data से प्रोसेस Data जब तैयार हो जाता है तब उसे इंफॉर्मेशन कहा जाता है। Data को कंप्यूटर में स्टोर करने के लिए हार्ड डिस्क का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा दूसरे स्टोरेज डिवाइस का यूज़ भी किया जाता है।’

ये भी पढ़े :- KYC क्या होती है?

Crypto Currency क्या है? और ये कैसे काम करता है?

इंफॉर्मेशन क्लासिफाइड और और ऑर्गेनाइजड डाटा होती है जिसकी  Reciever के लिए कोई वैल्यू होती है। प्रोसेस Data यानी इंफॉर्मेशन इतनी यूज़फुल हो कि उसके बेस पर डिसीजन और एक्शन लिया जा सके। इसके लिए प्रोसेस्ड Data में यह क्वालिटी होनी बहुत जरूरी है। टाइमली यानी जब इंफॉर्मेशन की जरूरत हो तो वो उपलब्ध हो सके। एक्यूरेसी यानी इंफॉर्मेशन बिलकुल एक्यूरेट हो। कंप्लीट यानी की इंफॉर्मेशन कंप्लीट हो।

Data के प्रकार :-

  1. Text Data इसमें अल्फाबेट्स आते हैं A to Z
  2. Number Data इसमें नंबर आते हैं 0 to 9
  3. Alphanumeric Data इसमें चिन्ह आते हैं जो किसी KeyBoard पर होते हैं जैसे कि @#$%&*! आदि 
  4. Image Data इसमें JPEG  JPG PNG फॉरमैट में तैयार की गई Images आती है
  5. Audio या Video Data इसमें बात करें तो MP3 MP4 और HD जैसे बहुत सारे फॉर्मेंट्स में Data रहता है।

आइए जानते हैं Data प्रोसेस क्या होती है? और Data प्रोसेसिंग साइट में के लिए कैसे काम करता है?

Data प्रोसेसिंग का मतलब लोगों या मशीन के द्वारा Data को ज्यादा यूज़फुल बनाने और किसी खास मकसद के लिए उपयोगी बनाने के लिए फिर से तैयार करना या एक सिस्टमैटिक ऑर्डर में जमाना होता है। Data प्रोसेसिंग 3 स्टेप्स में होती है। यानी इन तीनों स्टेप से मिलकर के Data साइकल पूरा होता है।

  • इनपुट :-

  1. इस स्टेप में Data को कंप्यूटर में इनपुट किया जाता है।
  2. Data इनपुट करने से पहले उसे कलेक्ट किया जाता है।
  3. वेरीफाई किया जाता है और उसके बाद कंप्यूटर में इनपुट कर दिया जाता है।
  4. यह Data कंप्यूटर में बायनरी फॉर्म जाने की जीरो वन में स्टोर रहता है।
  • प्रोसेसिंग :-

  1. इसमें इनपुट Data को ज्यादा यूज फूल बनाने के लिए प्रोसेस किया जाता है।
  2. Data प्रोसेसिंग का काम सीपीयू करता है।
  • आउटपुट :-

  1. इस स्टेप में प्रोसेस Data इनफार्मेशन के रूप में प्राप्त होता है।
  2. इस आउटपुट स्टेप से इनपुट Data की तुलना में ज्यादा यूजफुल Data प्राप्त होता है
  3. जिसे हार्ड डिस्क में स्टोर किया जा सकता है और कभी भी वापस पढ़ा जा सकता है

Data प्रोसेसिंग की जरूरत क्यों पड़ती है?

आज के टाइम में सारा काम कंप्यूटर से होता है। ऐसे में एकेडमिक इंस्टीट्यूशनल या कमर्शल यूज के लिए प्राइवेट और पर्सनल यूज़ के लिए और साइंटिफिक रिसर्च के लिए ज्यादा से ज्यादा Data कलेक्ट किया जाता है। इस कलेक्टेड Data को स्टोर करना और Short और फिल्टर करना और उसको एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है ताकि जरूरत के अनुसार इसका बेहतर यूज किया जा सके। इसलिए Data प्रोसेसिंग बहुत ज्यादा जरूरी होता है और यह प्रोसेस सिंपल होगा या  कंपलेक्स यह इस बात पर डिपेंड करता है कि किस स्केल पर Data कलेक्शन किया गया है और उससे किस प्रकार का रिजल्ट एक्सपेक्ट किया जाता है

Data मैनेजमेंट क्यों जरूरी होता है?

किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में के लिए उसका Data वन ऑफ द मोस्ट इंपोर्टेंट पार्ट होता है। क्योंकि डाटा से ही इंफॉर्मेशन बनती है जो बिजनेस से जुड़े डिसीजन का आधार होती है। अगर Data एक्यूरेट, कंप्लीट और ओर्गनाइजड होता है तो यह Data उस ऑर्गेनाइजेशन की ग्रोथ में कॉन्ट्रिब्यूशन देता है। आजकल किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में डाटा कलेक्शन इतने बड़े स्तर पर होता है कि उसे मैनुअली प्रोसेस नहीं किया जा सकता। इसलिए हर कंपनी को एक स्ट्रांग Data मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा Data मैनेजमेंट से होने वाले अगर बेनिफिट्स के बात की जाए तो कंपनी की –

  • प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
  • सिक्योरिटी रिस्क कम होता है
  • ऑपरेशन आसानी से कंप्लीट हो जाता है।
  • Data खोने के चांसेस बहुत कम रह जाते हैं
  • कंपनी के फायदे से जुड़े डिसीजन लेना काफी आसान हो जाता है।

इसके अलावा Data का रेलीवेंट होना भी हर कंपनी और ऑर्गेनाइजेशन के लिए जरूरी होता है तभी कस्टमर्स के साथ बेहतर रिलेशन बन पाते हैं और कंपनी के बेनिफिट्स के लिए स्ट्रांग स्ट्रेजी बनाई जा सकती है।

अब आप समझ गए होंगे की Data Kya Hota Hai? और इसकी जरुरत क्यों पड़ती है? अगर आपका कोई और सुझाव हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में लिख कर के हमें शेयर करें और साथ ही साथ आगे किस बारे में आप जाना चाहते हैं वो भी कमेंट में भेजसकते है। हम आपको उस चीज के बारे में बताने में पूरी कोशिश करेंगे। धन्यवाद!

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Graphic Card क्या होता है? और इसका Computer में क्या काम होता है?

11/04/2021 by kaisehoga Leave a Comment

आज का समय टेक्नोलॉजी का समय है। मतलब काफी सारे चेंजे आ रहे हैं और हर दिन कुछ ना कुछ नया आता जा रहा है। ऐसे मे एक से बढ़कर एक कंप्यूटर मार्केट में मिलते हैं। अगर आप कोई नया कंप्यूटर या लैपटॉप लेने जाते हैं तो आपने देखा होगा की उसमे हाई Graphic कार्ड वाले लैपटॉप सिंपल या नार्मल लैपटॉप के कंपैरिजन में थोड़े महंगे होते हैं। हालांकि Graphic Card तो सभी कंप्यूटर और Laptop में होते हैं। लेकिन इसमें मेमोरी का डिफरेंस आ जाता है।

Graphic Card क्या होता है?

अगर आप साधारण Graphic Card वाला लैपटॉप या कंप्यूटर लेते हैं। तो वो लैपटॉप या कंप्यूटर सस्ता मिल जाएगा, लेकिन अगर आप 2GB मेमोरी या इससे ज्यादा वाले Graphic कार्ड के साथ लैपटॉप खरीदना चाहते हैं तो आपको लैपटॉप महंगा मिलेगा। तो आप इस महंगाई की वजह जानना चाहते होंगे की High Graphic कार्ड वाले लैपटॉप या कंप्यूटर इतने महंगे क्यों होते हैं और Graphic Card का लैपटॉप में क्या काम होता है? किए इतना महंगा होता है? तो आज के इस पोस्ट में हम आपको Graphic Card क्या होता है? और इसका Computer में क्या काम होता है? इसकी पूरी जानकारी देंगे।

ये भी पढ़े :- Laptop का चुनाव कैसे करें? Laptop खरीदने से पहले ये 5 चीज़ें check करिए

Graphic Card क्या होता है?

  • Graphic Card बेसिकली एक इलेक्ट्रॉनिक कार्ड या Hardware Components होता है
  • ये आपके कंप्यूटर या लैपटॉप के अलावा स्मार्टफोन में भी होता है।
  • कंपनी की तरफ से यह लैपटॉप या कंप्यूटर में मदरबोर्ड में इनबिल्ट मिल जाता है।
  • अगर आप चाहे तो यह बाहर से भी एक्सटर्नल Graphic Card अपने कंप्यूटर में लगा सकते हैं।

हालांकि स्मार्टफोन में Graphic कार्ड नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि स्मार्टफोन में अलग से कार्ड लगाने के लिए स्लॉट नहीं दिया जाता, लेकिन कंप्यूटर में यह काम बड़ी आसानी से आप कर सकते हैं क्योंकि कंप्यूटर में या लैपटॉप में इसके लिए अलग से स्लॉट दिए जाते हैं, जिसमें आप अपने हिसाब से ग्राफिक कार्ड लगा सको आ सकते हैं।

आपको पता लग गया कि Graphic Card क्या होता है? अब यह जानते हैं कि Graphic Card काम क्या और कैसे करता है?

आजकल हर कंप्यूटर या लैपटॉप में हाई ग्राफिक कार्ड होना जरूरी हो गया है क्योंकि सभी अपने लैपटॉप या कंप्यूटर में गेमिंग या प्रोसेसिंग का काम करना चाहते हैं और इसके लिए इस कार्ड का होना बहुत जरूरी हो गया है। अगर आपको गेमिंग का बहुत शौक है और इसके अलावा अपने लैपटॉप या कंप्यूटर में वीडियो एडिटिंग के बड़े सॉफ्टवेयर चलाना चाहते हैं या फिर कोई VFX Effect बनाना चाहते हैं तो इसमें आपके कंप्यूटर में ग्राफिक कार्ड का होना बहुत जरूरी है।

  • आपको वैसे तो पता ही होगा कि Graphic Card हर कंप्यूटर या लैपटॉप में होता है
  • लेकिन वह नॉर्मल Graphic कार्ड होते हैं।
  • जो किसी वीडियो को अच्छी तरह से चला सकते हैं,
  • लेकिन आप नॉर्मल Graphic Card में Video Editing के बड़े सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते।
  • सबसे बड़ी बात तो यह है कि बड़े सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर में इंस्टॉल होंगे ही नहीं।
  • अगर आपके कंप्यूटर में कोई सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो भी जाता है तो आपका लैपटॉप हैंग होने लग जाएगा।
  • मतलब यह कि उसमें नॉर्मल Graphic Card  है तो जब आपके लैपटॉप में हाई Graphic Card होते हैं तो उसका काम बड़े सॉफ्टवेयर को अच्छे से रन कराना होता है
  • जो कि Graphic कार्ड में बड़ी मेमोरी से होती है
  • और उसके लिए इसका प्रयोग करने पर आपके लैपटॉप RAM की मेमोरी फ्री हो जाती है।
  • और इस तरह से आपका लैपटॉप अच्छे से काम करता है।

आम भाषा में कहें तो Graphic Card का काम कंप्यूटर में चल रहे Video, Game गेम और Editing सॉफ्टवेयर को और भी अच्छी तरीके से चलाना होता है।

तो आप जान गए होंगे कि Graphic Card क्या होता है?

और इसका Computer में क्या काम होता है?

इसके अलावा हम आपको बताते हैं कि बिना Graphic कार्ड के लैपटॉप में Game खेलना काफी मुश्किल है। इसके अलावा एक और इंपॉर्टेंट बात ये है की अगर आपका Game बार-बार हैंग हो रहा है या कोई और Video Editing एप ठीक तरीके से नहीं चल रहा है तो समझ लीजिए कि आपका Graphic कार्ड नॉर्मल Graphic कार्ड है।

उम्मीद करते हैं कि Graphic कार्ड के बारे में यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी वैसे आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बता सकते हैं कि यह पोस्ट आपको कैसा लगा और आगे आप कौन-कौन से चीजों के बारे में जानना चाहते है हम पूरी कोसिस करेंगे की आपको उन चीजों के बारे में बताने की जिन्हे आप जानना चाहते है

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How to choose best laptop? Laptop खरीदने से पहले ये 5 चीज़ें check करिए

11/04/2021 by kaisehoga Leave a Comment

Laptop के मामले में हर किसी की जरूरत हर किसी से अलग-अलग होती है। अगर किसी को बस पढ़ाई लिखाई करने के लिए जरूरत होती है तो किसी को मूवी देखने के लिए, किसी को Office का काम निपटाना होता है तो किसी को Gaming करनी होती है। इनमें से हर काम के लिए अलग अलग बजट में लैपटॉप आते हैं जिनके स्पेसिफिकेशन यानी फीचर भी अलग होते हैं।

How to choose best laptop?
How to choose best laptop?

अगर आपका बजट अच्छा है और आपका काम बस पढ़ाई लिखाई और Office तक ही सीमित है तब तो आपको अपने बजट में Apple MacBook  लेने के बारे में सोचना चाहिए। लेकिन अगर आपका बजट कम है और आप पढ़ाई के अलावा भी अपने Laptop पर कुछ करना चाहते हैं तब तो Windows Laptop ही एक चारा है। मार्केट में बहुत सारे प्राइस रेंज में अलग-अलग खूबी वाले विंडोज Laptop मौजूद है। अपने जरूरत के हिसाब से how to choose best laptop? हम आपको यही बताएंगे।

1. CPU या Processor

How to choose best laptop?
How to choose best laptop?

सबसे पहली चीज जो आपको अपने Windows Laptop में देखनी है, वह है CPU या Processor जैसे कि हमें बचपन से ही स्कूल में हमें सिखाया गया है आप इसे Laptop का दिमाग भी कह सकते हैं। यहीं से आपका Laptop सोचता और समझता है और सभी काम पूरे करता है यह जितना तेज और अच्छा होगा आपका Laptop उतना ही बढ़िया होगा।

अगर आपको Processor और Chip का ज्ञान नहीं है लेकिन आपने कभी न कभी इंटेल के Core i3, i5, i7 और i9 प्रोसेसर का नाम सुना होगा या शायद कभी कबार आपने AMD  के Chip के बारे में भी सुन लिया होगा। सही Chip के चुनाव के लिए यह जान लीजिए कि कौन सा Chip किस के लिए बेहतर है?

  • Intel के Chip

  1. Core i3 वाले Laptop सस्ते होते हैं यह उन लोगों के लिए ठीकमन जाता है जिन्हें बस पढ़ाई लिखाई या मूवी और हल्का फुल्का लिखने वाला काम होता है।
  2. Office का काम करने के लिए Core i3 वाला Laptop हैंग करने लग जाते हैं भले ही आप उसमें 8GB रैम डाल दे। इसके लिए आपको Core i5 Processor वाले लैपटॉप लेने चाहिए।
  3. अगर आपको अपने लैपटॉप पर भारी-भरकम Games खेलने होते हैं तो तब तो Core i7 से नीचे किसी Laptop को खरीदना बेकार ही है!
  4. अगर आपका काम कुछ ज्यादा ही खतरनाक है जिसके लिए i7 भी कम पड़ जाए तब तो आपको Core i9 का ही ऑप्शन बचता है

लेकिन आगर आपकी नौबत Core i9 तक आ जाती है तब आपको Laptop की जगह Core i9 Chip वाला Desktop लेना चाहिए Desktop में लगे पंखे आपकी मशीन को ठंडा रखते है और स्पीड भी ज्यादा देने में सक्षम होते है और इनके अलावा भी Intel के कुछ Chip है मगर वह लेना इतना बेहतर नहीं है।

  • AMD के Chip

Intel की तरह ही AMD की Ryzen 3, Ryzen 5, Ryzen 7, Ryzen9 चिप है ठीक इंटेल की तरह ही जैसे जैसे इनका नंबर बढ़ता है। वैसे वैसे इनकी पावर बढ़ती है और साथ ही साथ इनके पैसे भी।

अब आपको यह तो पता चल गया होगा इस्तेमाल के हिसाब से Intel या AMD की कौन-सी Chip लेनी चाहिए लेकिन एक और सवाल पैदा हो गया कि Intel और AMD के चिप में से कौन सा बेहतर है? तो इसका कोई जवाब नहीं है। आपको बता दे Intel और AMD की चिप कई सालों से चली आ रही है। लेकिन टाइम टाइम पर इनका नया मॉडल आता रहता है जिससे Genration के नाम से जाना जाता है किसी साल Intel का Processor बढ़िया होता है तो किसी साल AMD का।आप Chip का चुनाव करते वक्त यह ध्यान दीजिये कि आप लेटेस्ट Genration की चिप ले रहे हैं या फिर हद से हद पिछले Genration की

2. RAM

How to choose best laptop?
How to choose best laptop?

RAM आपके Laptop की MultiTasking की क्षमता को तय करती है। मतलब कि एक वक्त पर आपका Laptop कितने Program एक साथ चला सकता है या कितना भारी काम एक साथ कर सकता है। पहले 4GB रैम बहुत हुए करते थे लेकिन अब 8GB से कम मे कुछ नहीं होता। अगर आपको Laptop थोड़ा बहुत मनोरंजन या स्कूल के Online क्लास के लिए लेना है तो आप Core i3 या Ryzen 3 के साथ 4GB RAM वाला Laptop ले सकते हैं मगर यह ध्यान रखें की यह मशीन और कुछ करने में असमर्थ रहेगी।

अगर आपका काम Core i5 या Ryzen 5 वाला है तो 8GB RAM से नीचे मत लीजिए। ऐसे ही Core i7 और Ryzen 7 के साथ 16GB RAM लीजिए। अगर आप चाह रहे हैं कि Core i7 या Ryzen 7 लिए बिना ही थोड़ी बहुत Gaming और Video Editing हो जाए तो आप Core i5 या Ryzen 5 Laptop में ही 16GB RAM लगा सकते हैं बस साथ में Graphics Card भी लगा लेंगे तो बहुत अच्छा होगा। Graphics Cardके  बारे में हम आपको आगे बताते हैं। अभी बरहाल जरूरत पड़ने पर आप अपने Laptop के RAM को निकालकर बेच भी सकते हैं और थोड़े पैसे मिलाकर ज्यादा RAM खरीद भी सकते हैं।

3. GPU या Graphic कार्ड

How to choose best laptop?
How to choose best laptop?

जिस तरह से CPU सारा गुणा भाग करता है वैसे ही आपके Screen या Display पर चलने वाला सारा कार्य क्रम आपके Laptop में मौजूद Graphics मेमोरी के हाथ में होती है। यह जितनी ज्यादा होती है, आप उतने ही आसानी से दिखाई पड़ने वाले काम कर पाएंगे। जैसे की Video Editing करना या Gaming करना ।

अगर आपको  इस तरह के काम करने हैं तो आपको Core i3 या Ryzen 3 से ऊपर वाला Processor लेना होगा यानी कि Core i5 या Ryzen 5 या इससे ऊपर वाला Processor और उसके साथ ही एक Graphic कार्ड भी लेना होगा। Graphic कार्ड आपके लैपटॉप को स्मूथ बना देता हैं।

Graphic Card क्या होता है? और इसका Computer में क्या काम होता है? जानने के लिए यह देखे

आजकल Graphic कार्ड का इतना बोलबाला है की एक Core i5 वाला Laptop जिसमें 16GB रैम है और उसके साथ बढ़िया Graphic कार्ड हो तो Core i7 के Basic लैपटॉप से भी अच्छा काम कर सकता है

ज्यादातर Graphic कार्ड के मामले में NVIDIA और AMD कंपनियों का नाम आता है। यह अलग-अलग Power  वाले होते हैं और उसे हिसाब से इनकी Price तय होती है। बस आप Laptop खरीदते वक्त देख लीजिए कि आपने जो लैपटॉप लिया है, उसमें Graphic कार्ड है कि नहीं और अगर है तो कौन सा है लेटेस्ट Graphic कार्ड हो तो ज्यादा अच्छा है लेकिन बहुत ज्यादा Price वाला होने का भी फायदा नहीं है क्योंकि यह बस आपके Laptop की कीमत को बढ़ा देगा।

Intel और AMD दोनों के Processor अपने-अपने इंटरग्रेटेड ग्राफिक के हिसाब से साथ आते हैं। इंटेल वाले ग्राफिक कार्ड को UHD कहते हैं और AMD वाले Radeon नाम से जाने जाते हैं। इनमें से आमतौर पर AMD के Graphic यूनिट बेहतर होती है। अगर आपको Graphic मेमोरी अच्छी चाहिए, मगर आपका बजट आपको Graphic कार्ड लेने की इजाजत नहीं देता तब आप के लिए AMD का Processor बहुत अच्छा रहेगा।

4. Laptop का Storage

पहले के कंप्यूटर और Laptop में Storage के लिए Hard Disk Drive या HDD लगी रहती थी यह वह मशीन थी जिसमें आपका सारा डाटा Save रहता था मगर यह Slow थी, भारी थी और काफी गर्म भी हो जाती थी और इसकी आवाज भी खूब होती थी। अब इनकी जगह ले ली है Solid State Drive यानी SDD ने। इनके अंदर ऐसी कोई खामी नहीं है और इन्हीं की मदद से Laptop इतने पतले और हल्के हो पाए हैं।

Laptop लेते वक्त SDD यानी Solid State Drive Storage वाला Laptop ही लीजिए। भले ही आपका काम जैसा भी हो बस आप अपनी जरूरत के हिसाब से देख लीजिए कि आपको 256gb Storage चाहिए या 512gb चाहिए और ज्यादा Storage में SDD अभी उपलब्ध नहीं है तो आप ऐसा Laptop भी देख सकते हैं जिसमें कुछ मेमोरी फास्ट वाली SDD हो और कुछ बड़ी बड़ी फाइल्स Save करके रखने के लिए HDD यानी Hard Disk Drive वाली मेमोरी हो!

5. Screen और Laptop का साइज

अगर आपको Laptop रोज इधर से उधर करना होता है तो कोशिश करिए कि आप ऐसा Laptop ले जो हल्का हो और छोटा हो, वजन डेढ़ किलो से कम ही हो और Screen साइज 14 इंच से कम हो। ये Laptop कीमत में कीमत में थोड़े ज्यादा होते हैं। लेकिन ये सहूलियत के नजर से बहुत लाभदायक होते हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपके Laptop की Screen Full HD तो हो ही। अगर आपको Gaming और Video Editing का ज्यादा काम है तो आप महंगा वाला 4K resolution वाला। Laptop भी ले सकते है मगर ऐसी जरूरत बहुत कम लोगों को ही होती है।

इनके अलावा आप अपनी निजी जरूरतों के हिसाब से कुछ और भी चीजें देख सकते हैं जैसे:-

  1. Laptop में मौजूद पोर्ट
  2. Card Reader
  3. WebCam
  4. TouchPad का Size
  5. KeyBoard
  6. Speaker

अच्छे Laptop  की Build Quality भी अच्छी होती है। आजकल कई Laptop बिल्कुल MacBook की तरह ही Metal  के बने होते हैं और इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं होती।

तो अब आपको समझ आ गया होगा how to choose best laptop? और अगर आपको अभी भी इससे सम्बंधित कोई समस्या है या कोई सुझाव है तो आप हमे कमेंट करके बता सकते है

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10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन

24/02/2021 by kaisehoga Leave a Comment

भारत में 10,000 रुपये से कम का सबसे अच्छा फोन निस्संदेह सबसे लोकप्रिय खोज श्रेणियों में से एक है और अब इस तालिका में AI- क्षमताओं के साथ कुछ बहुत ही शक्तिशाली प्रोसेसर के फोन भी आने लगे है। हालाँकि Xiaomi की इस सेगमेंट में मजबूत मौजूदगी है, लेकिन Realme और Infinix जैसे नए ब्रांडों के 10,000 रुपये से कम के नवीनतम फोन में 10,000 रुपये से कम मूल्य के एंड्रॉइड स्मार्टफोन प्रदान करने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है।

10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन
10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन

दूसरी ओर सैमसंग अपने M सीरीज के साथ ही इस प्राइस सेगमेंट में आक्रामक रूप से जोर दे रहा है। दिलचस्प बात यह है कि 10,000 रुपये से कम के लेटेस्ट मोबाइल में डुअल कैमरा, 4 जी वीओएलटीई सपोर्ट, बेजल-लेस डिस्प्ले, फिंगरप्रिंट सेंसर और 4,000mAh की बैटरी क्षमता है। शुक्र है कि १०,००० रुपये से कम के सर्वश्रेष्ठ मोबाइल  प्रदान करते हैं। आपके लिए सही फोन का पता लगाने में मदद करने के लिए, भारत में 10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन की लिस्ट यहां दी गई है जिसे देख कर आप अपने हिसाब से अपने लिए बेस्ट स्मार्टफोन चूज कर सकते है

ये भी पढ़े :- 5G के बेस्ट स्मार्टफोन्स

1. Redmi 9 Prime – कीमत Rs.9,499

10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन
10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन

हैंडसेट की कीमत 10,000 रुपये से कम है, लेकिन आपको रेडमी 9 प्राइम के साथ एक क्वाड कैमरा सेटअप, वास्तव में अच्छा प्रोसेसर, अच्छी बैटरी लाइफ और यहां तक कि फास्ट चार्जिंग सपोर्ट मिलता है। जहां Xiaomi पिछले साल Realme और Samsung के आक्रामक पुश के साथ अपना आकर्षण खो रहा था, Redmi 9 Prime ने इस प्राइस सेगमेंट के लिए ब्रांड को वापस ड्राइविंग स्थिति में ला दिया।

  • Performance

  • Display

  • Camera

  • Battery

  • Wi-Fi Calling
  • 64 GB + 512 GB Expandable
  • Dual SIM: Nano + Nano
  • Supports Indian bands
  • VoLTE
  • Fingerprint sensor
  • Gorilla Glass 3
  • Splashproof
  • FM Radio

2. Realme C3 – कीमत Rs.8,999

Realme C3 इस तथ्य का वसीयतनामा है कि समय बदल गया है। Realme C3 के साथ, आपको एक प्रीमियम-दिखने वाला हैंडसेट मिलता है जो एक साफ यूआई और एक फुलस्क्रीन डिस्प्ले व्यू प्रदान करता है। हैंडसेट यहां तक कि 2-दिवसीय बैटरी जीवन प्रदान करने का प्रबंधन करता है, जो कि बाजार में कुछ फोन द्वारा कीमत सीमा की परवाह किए बिना मेल खाता है। । कैमरा विभाग बेहतर हो सकता था लेकिन आप केवल इस बात को इंगित कर सकते हैं यदि आप इस फोन की खुदरा कीमत को पहली बार में भूल जाते हैं।

  • Performance

  • Display

  • Camera

  • Battery

  • 32 GB + 256 GB Expandable
  • Dual SIM: Nano + Nano
  • Supports Indian bands
  • VoLTE
  • No Fingerprint sensor
  • Gorilla Glass 3
  • USB OTG Support
  • Splashproof
  • FM Radio

3. Realme C12 – कीमत Rs.8,970

भारत में 10,000 रुपये में 6,000mAh की बैटरी वाले फोन देखना अभी भी दुर्लभ है और यहां तक कि बड़े ब्रांडों में से एक से भी ऐसा ऑफर देखने के लिए दुर्लभ है। Realme C12 एक ऐसा गेंडा है, जो इस विशाल बैटरी क्षमता को प्रदान करता है, इसके अलावा कुछ साफ चश्मे के अलावा, इस मूल्य वर्ग में एक समग्र पैकेज देने के लिए। जबकि Realme C12 में कैमरा क्वालिटी की बात आती है, तब भी सुधार की गुंजाइश है, फोन के अन्य पहलू निश्चित रूप से हैंडसेट के लिए एक मजबूत स्थिति बनाते हैं।

  • Performance

  • Display

  • Camera

  • Battery

  • 32 GB + 256 GB Expandable
  • Dual SIM: Nano + Nano
  • Supports Indian bands
  • VoLTE
  • Fingerprint sensor
  • Gorilla Glass 3
  • USB OTG Support
  • Splashproof
  • FM Radio

4. Redmi 9 – कीमत Rs.8,799

10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन

Xiaomi की Redmi 9 फोन में किसी भी ‘वाह’ कारक की कमी होती है, यदि आप एक ऐसे फोन की तलाश कर रहे हैं जो भीड़ से बाहर है, तो Redmi 9 एक नहीं है, लेकिन यदि आप एक ऐसे फोन की तलाश कर रहे हैं जो अधिकांश मोर्चों पर मज़बूती से पेश आए, तो यह वास्तव में एक अच्छा विकल्प है।

  • Performance

  • Display

  • Camera

  • Battery

  • 64 GB + 512 GB Expandable
  • Dual SIM: Nano + Nano
  • Supports Indian bands
  • VoLTE
  • Fingerprint sensor
  • Splashproof
  • FM Radio

5. Realme Narzo 20A – कीमत Rs.8,499

10000 के अंदर बेस्ट स्मार्टफोन

Realme Narzo 20A ने कुछ प्रभावशाली स्पेक्स के साथ सूची में प्रवेश किया, जो इस प्राइस सेगमेंट में बहुत ही बेहतरीन फोन को टक्कर दे सकते हैं। एक सभ्य डिजाइन, अच्छा बैटरी बैकअप, सक्षम प्रोसेसर, और सम्मानजनक कैमरा प्रदर्शन के साथ, Narzo 20A एक विशेषता के मास्टर होने की कोशिश नहीं करता है, लेकिन निश्चित रूप से सभी सही बक्से को टिक करने का प्रबंधन करता है। यदि आप एक विशेष श्रेणी में एक विशेषज्ञ फोन की तलाश कर रहे हैं, तो Narzo 20A आपके लिए पिक नहीं हो सकता है, लेकिन यदि आप एक ऐसे फोन की तलाश कर रहे हैं, जो आसानी से अधिकांश कार्यों से निपटता है, तो Narzo 20A के साथ जाने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

  • Performance

  • Display

  • Camera

  • Battery

  • 32 GB + 256 GB Expandable
  • Dual SIM: Nano + Nano
  • Supports Indian bands
  • VoLTE
  • Fingerprint sensor
  • Gorilla Glass 3
  • USB OTG Support
  • FM Radio

तो दोस्तों ये थे वो 5 स्मार्टफोन जिनकी कीमत Rs 10000 से कम है लेकिन ये स्मार्टफोन आपके लिए बेहतर साबित हो सकते है आप इनमे से कोई भी अपने हिसाब से चुन सकते है और यदि कोई दूसरा फ़ोन आपको लगता है की इनको टक्कर दे सकता है इस सेगमेंट में तो आप हमे कमेंट करके जरूर बताये

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